सतयुग के मानव कैसे होंगे??
*सतयुग के मानव कैसे होंगे??*
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♥️16 कला सम्पूर्ण,सर्वगुणसम्पन्न ,सम्पूर्ण निर्विकारी, सम्पूर्ण अहिंसक,मर्यादा पुरुषोत्तम यह सतयुग में रहने वाले सभी मनुष्यों की 👌क्वालिटी होगी।
सतयुग में पवित्र गृहस्थधर्म होगा।
बच्चें विकारों की पैदाइश नही होंगे।
वहां यथा राजा तथा प्रजा होगी अर्थात जितने सुखी समृद्ध राजाये होंगे वैसे प्रजा भी सुखी सम्पन्न होंगे।
सबका खान पान अत्यंत सात्विक शुद्ध होगा।
👌🏼पहनावा रॉयल होगा।
वहां का हर मनुष्य सभ्य और दैवी मैनर्स वाला होगा।वह किसी पर थोड़ा भी क्रोध नही करेगा।
क्रोध करना हिंसा है और किसी भी तरह का हिंसा करना पापकर्म है।और सतयुग में कोई भी पाप कर्म नही करता।
क्योंकि *देवतायें सम्पूर्ण अहिंसक थे,विकारो से अंजान थे।*
इसलिए देव मनुष्य और असुर मनुष्य एक साथ,एक समय इस सृष्टि 🌎पर रहे ये नही होता।
so सतयुग में असुर, विकारी संस्कार वाले कोई मनुष्य या प्राणी नही होते और कलियुग में देवी देवता समाज वाले कोई मनुष्य नही है।
🧌काले काले,सिंग वाले या भयानक दिखने वाले असुर होते ही नही है।
ना ही चार या आठ हाथ वाले देवता होते है।
पुराने कथाओं में रोचकता बढाने के लिए इनका वणर्न ऐसा किया है,मनुष्य की कल्पना से किया है ।
*सत्य बात : "असुर" और "देव" यह मनुष्य की वृत्ति ,संस्कार को दर्शाती है।*
सतयुग में रहने वाले शांत, बोल चाल चरित्र में उंच सभ्यता वाले,पवित्र मन और अत्यंत बुद्धिमान, प्रेम आनन्द से भरे-सहयोगी समाज के दैवी सर्वगुण सम्पन्न मनुष्य ही देवी देवता कहलाते हैं।
और अभी कलियुग के 👉दुर्गुणी,हिंसक,दुसरो को कष्ट देने वाले,अभद्र बोल चाल वाले,स्वार्थी, विकारी वृत्ति वाले मनुष्य असुर कहलाते है।
परिवर्तन संसार का नियम है और निरन्तर चलता रहता है।
परमपिता परमात्मा शिव इसी कलियुग पूरे अंत के समय धरा पर आकर युग परिवर्तन के लिए, मनुष्यों को देवी देवता के संस्कार सिखाने के लिए अवतरित होते है।राजयोग ज्ञान सुनाते है।
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