स्वमान

 


निर्बल नहीं हो, बलवान हो क्योंकि मास्टर सर्वशक्तिमान हो। ऐसा रूहानी नशा सदा रहता है? रूहानियत में अभिमान नहीं होता है। स्वमान होता है। स्वमान अर्थात् स्व-आत्मा का मान। स्वमान और अभिमान दोनों में अन्तर है। तो सदा स्वमान की सीट पर स्थित रहो। अभिमान की सीट छोड़ दो।

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