प्रवृति में रहते सदा न्यारे और प्यारे
सभी प्रवृति में रहते सदा न्यारे और प्यारे स्थिति में रहने वाले हो प्रवृत्ति के किसी भी लौकिक सम्बन्ध वा लौकिक वायुमण्डल, वायब्रेशन में तो नहीं आते हो? इन सब लौकिकता से परे अलौकिक सम्बन्ध में, वायुमण्डल में, वायब्रेशन में रहते हो? लौकिक-पन तो नहीं है ना? घर का वायुमण्डल भी ऐसा ही अलौकिक बनाया है, जो लौकिक घर न लगे लेकिन सेवाकेन्द्र का वायुमण्डल अनुभव हो? कोई भी आवे तो अनुभव करे कि यह अलौकिक हैं, लौकिक नहीं। कोई भी लौकिकता की फींलिग न हो। आने वाले अनुभव करें यह कोई साधारण घर नहीं है लेकिन मन्दिर है। यही है पवित्र प्रवृत्ति वालों की सेवा का प्रत्यक्ष स्वरूप। स्थान भी सेवा करे, वायुमण्डल भी सेवा करे।
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