जीवन को श्रेष्ठ बनाने का सहज साधन:ट्रस्टी :

 जीवन को श्रेष्ठ बनाने का सहज साधन कौन सा है? श्रेष्ठ जीवन तब बनती जब अपने को ट्रस्टी समझकर चलते। ट्रस्टी अर्थात् न्यारा और प्यारा। तो सभी को बाप ने ट्रस्टी बना दिया। ट्रस्टी हो ना? ट्रस्टी होकर रहने से गृहस्थी-पन स्वत: निकल जाता है। गृहस्थी-पन ही श्रेष्ठ जीवन से नीचे ले आता। ट्रस्टी का मेरापन कुछ नहीं होता। जहाँ मेरापन नहीं वहाँ नष्टोमोहा स्वत: हो जाते। सदा निर्मोही अर्थात् सदा श्रेष्ठ, सुखी। 

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