मिलन मनाने वाले



बाप को बड़े-बड़े शास्त्रों की अथॉरिटी, धर्म के अथॉरिटी, विज्ञान के अथॉरिटी, राज्य के अथॉरिटी, बड़े-बड़े विनाशी टाइटल्स के अथॉरिटीज़, उन्होंने नहीं जाना, लेकिन आप सबने जाना। वे अब तक आवाह्न ही कर रहे हैं। शास्त्रवादी तो अभी हिसाब ही लगा रहे हैं। विज्ञानी अपनी इन्वेन्शन में इतने लगे हुए हैं, जो बाप की बातें सुनने और समझने की फुर्सत नहीं है। अपने ही कार्य में मगन हैं। राज्य की अथॉरिटीज़ अपने राज्य की कुर्सी को सम्भालने में बिजी हैं। फुर्सत ही नहीं है। धर्मनेतायें अपने धर्म को सम्भालने में बिजी हैं कि कहाँ हमारा धर्म प्राय:लोप न हो जाए। इसी हमारे-हमारे में खूब बिजी है। लेकिन आप सब आवाह्न के बदले मिलन मनाने वाले हो। यह विशेषता वा महानता सभी की है।

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