ये समय है महापरिवर्तन का

 



ये समय है महापरिवर्तन का

कयामत का

जब हर आत्मा को पवित्र बन वापिस घर जाना है।

जब बाप आकर सबको जगाते है अज्ञान नींद से।

सबकी अंतरआत्मा को जगाते है।

क्योंकि देखने में जीवित लगते है परन्तु मरे पड़े,कोई 

भावनाएं नहीं है।महसूसता की शक्ति ही नहीं रही है।

सच्ची खुशी, सच्चा प्रेम ,आनंद जीवन में जैसे है ही नहीं।

किसी के साथ गलत करके,किसी का नुकसान करके मनुष्य को कोई पछतावा अथवा आत्म ग्लानि भी नही होती।ऐसे नहीं कि वह क्षमा मांग ले या जो गलत हुआ उसे ठीक करने का प्रयास करे।

वह कोशिश ही नही करता समझने कि दूसरे व्यक्ति को कैसा लगता होगा क्योंकि आज मनुष्य के अंदर.से सद् भावना अथवा संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है।वह स्वार्थी हो चुका है,उसे अपने से बड़ कर दूसरा कुछ दिखाई नहीं देता।

ऐसा भी क्यों आज मनुष्य भोगी बन चुका है

 

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