स्वागत और सत्कार
शुभ स्वागतम शत स्वागतम,शुभ स्वागतम शत स्वागतम
आज तो अपने harsh का मिलता कहीं ना अंत है,आगमन से आपके आनंद ही आनंद है ।
मंदिर सजता मूर्त से और अम्बर जैसे तारों से,भारत माँ का सजा है आँगन,परमपिता के प्यारों से।
स्वागत और सत्कार का मौसम आया चिर बसंत है। आगमन से आपके आनंद ही आनंद हैं।
Welcome all long lost now found our divine Brothers and sisters of divine kingdom।
Our ancient highest and holiest culture of भारत pulls us towards its roots where we all are one।
Hospitality and big heart of भारत is still praised which accepts all religions and give regard to all।
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